बीयर के दीवानों की नहीं बुझ रही प्यास, शराब दुकान के बाहर लगे हैं “बीयर नहीं है” के साइनबोर्ड

अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मयख़ाने में
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में
Ranchi: बीयर के दीवाने आज-कल झारखंड में इस शायरी को खूब सुन और सुना रहे हैं. दरअसल उन्हें अपनी प्यास बुझाने के लिए घूंट भर भी बीयर नसीब नहीं हो रही है. झारखंड की शराब दुकानों के बाहर आज-कल एक-एक बोर्ड दिखाई दे रहा है. उस पर लिखा होता है कि बीयर नहीं है. इस बोर्ड को देख बीयर के दीवानों के दिल पर क्या गुजरती है, यह तो वे ही समझ सकते हैं. लेकिन गौर करने वाली यह है कि मयखानों या बार में बीयर की कोई कमी नहीं. मतलब अगर आपको बीयर पीनी ही है तो आप बार में जाएं. दोगुने दाम पर बीयर खरीदें और तब जाकर अपनी प्यास बुझाएं. गर्मी के दिनों में ऐसा होने से बीयर के शौकीन काफी नाराज नजर आ रहे हैं.
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आखिर क्यों नहीं मिल रही है दुकानों में बीयर
बीयर के शौकीन खाली हाथ दुकान से लौटते वक्त एक सवाल जरूर दुकानदार से पूछ रहे हैं कि आखिर बीयर है क्यों नहीं? जिसका माकूल जवाब उन्हें नहीं मिलता. जबकि जवाब यह है कि सरकार बीयर कंपनियों को भुगतान नहीं कर रही है. इसी वजह से बीयर सप्लायर सरकार को बीयर नहीं दे पा रहे हैं.
बार में क्यों उपलब्ध है बीयर
शराब दुकानों से भले ही बीयर नदारद हो, लेकिन बार में आपको ठंडी-ठंडी बीयर आसानी से मिल रही है. दरअसल सप्लायर उतनी ही बीयर सप्लाई कर रहे हैं जितनी बार वालों को जरूरत है. सप्लायर इस शर्त पर विबरेज कॉर्पोरेशन को बीयर दे रहे हैं कि वे बीयर बार वालों को ही दें. इससे सप्लायरों को भुगतान आसानी से हो जाता है.
भुगतान कैसे करना है और कैसे हो रहा है
दरअसल जब से सरकार ने शराब बेचने का काम अपने हाथ में लिया है. तब से ही सरकार और शराब सप्लायर कंपनियों के बीच यह करार हुआ है कि सप्लाई करने की तिथि के एक सप्ताह के भीतर सरकार सप्लायरों को सारा भुगतान कर देगी. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. अगस्त से सरकार शराब बेच रही है. सप्लायरों की व्यवस्था नयी है. चार महीने के बाद यानी दिंसबर तक 60-40 के अनुपात से भुगतान किया गया. इस तरह सरकार पर भुगतान का बकाया बढ़ता चला गया. मार्च में भी सरकार ने शराब सप्लायरों को भुगतान किया, लेकिन भुगतान पूरा नहीं हुआ. दरअसल शराब सप्लायरों को शराब खरीदते ही टैक्स चुकाना पड़ता है. दूसरी तरफ सरकार भुगतान नहीं कर रही है. ऐसे में सप्लायरों को विवश होकर बीयर की सप्लाई पर रोक लगानी पड़ रही है.
शराब नीति को समझने के लिए छत्तीसगढ़ गयी टीम
झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़ में भी शराब सरकार बेच रही है. लेकिन हालत झारखंड जैसी नहीं है. झारखंड में जब से शराब सरकार बेच रही है, कारोबार घाटे में जा रहा है. उत्पाद विभाग को मुनाफे में कैसे लाया जाये, इसके लिए झारखंड की एक टीम छत्तीसगढ़ भेजी गयी थी. टीम छत्तीसगढ़ से शराब की बिक्री का अध्ययन कर लौट चुकी है. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जो टीम छत्तीसगढ़ गयी थी, उसने अभी रिपोर्ट नहीं सौंपी है. रिपोर्ट सौंपने के बाद आगे की कारर्वाई की जायेगी. यानि कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि बीयर के शौकीनों को हलक में तरावट लाने के लिए थोड़ा इंतजार और करना पड़ेगा, या फिर बार में जाकर जेब ढीली करनी होगी.
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