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पब्लिक ओरिएंटेड नहीं हैं निगम की मॉर्डन पार्किंग पॉलिसी

Rajesh Das

Ranchi : राजधानी की प्रमुख सड़कों पर निगम द्वारा प्रस्तावित नयी मार्डन पार्किंग पॉलिसी एकबार फिर विवादों में घिरती जा रही है. कई लोगों का कहना है कि निगम द्वारा प्रस्तावित यह योजना पब्लिक ओरिएंटेड नहीं है. निगम शहर की परिवहन व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव का निर्णय निगम रातों-रात लेता है, तो उसे अच्छी सोच के साथ निर्णय लेना चाहिए. ऐसा ना कर निगम काफी बढ़े हुए दर से शुल्क वसूलने जा रहा है. जो आमलोगों पर एक बड़ा बोझ है. योजना को लेकर चैम्बर से जुड़े लोग भी इसे निगम का अवैध उगाही का एक जरिया बता रहे हैं, वहीं रांची के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा है कि जनता पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ डालना ठीक नहीं है.

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पहले क्या थी, बदलाव बाद अब क्या होगी पार्किंग पॉलिसी

मालूम हो कि बुधवार को निगम बोर्ड की बैठक में शहर की पार्किंग पॉलिसी को लेकर एक प्रस्ताव पास किया गया था. प्रस्ताव के तहत यह कहा गया कि निगम की मार्ग तकनीकी समिति द्वारा ऑन स्ट्रीट और ऑफ स्ट्रीट पार्किंग पॉलिसी को लागू किया जाएगा. इसके तहत एक घंटा कार पार्क करने में 40 रुपए और बाइक पार्क करने में करीब 20 रुपये लोगों को देने होंगे. इससे पहले निगम की पार्किंग पॉलिसी की दर काफी कम थी. अगर फिरायालाल स्थित वाहन पार्किंग की स्थिति को देखा जाए तो कार पार्किंग करने वाले लोगों से यहां दिनभर में केवल 30 रुपये और बाइक पार्क करने पर 10 रुपये ही लिया जाता है. प्रस्ताव के तहत इन स्थलों में केवल 10 मिनट वाहन पार्किंग करने पर निगम कोई शुल्क नहीं लेगा. साथ ही वीकेंड ( शनिवार, रविवार) सहित सरकारी छुट्टी के दिन वाहन पार्क करने वालों से आधी राशि वसूल की जाएगी.

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दर ऐसी ताकि लोगों के साथ हो फ्रेंडली संबंध : संजीव विजयवर्गीय

नयी मॉर्डन पार्किंग पॉलिसी को लेकर डिप्टी मेयर ने न्यूज विंग से बातचीत में कहा कि निगम का जनता के साथ फ्रेंडली व्यवहार हो, इसके लिए जरुरी है कि दर ऐसी हो, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ न पड़े. अब जबकि सरकार की नियमावली में नयी दरें आ गयी हैं, तो  इससे यह तकनीकी समस्या बन गयी है कि निगम इसे अस्वीकृत नहीं कर सकता है. हालांकि उन्होंने नगर आयुक्त को कहा है कि मामले को लेकर सरकार से एकबार बातचीत किया जाए. विश्व के कई स्मार्ट सिटी में वीकेंड के दौरान निःशुल्क पार्किंग की व्यवस्था की गयी है. जबकि रांची में स्मार्ट सिटी बनाने की पहल के बावजूद यहां शुल्क वसूला जाएगा, इस सवाल पर उनका कहना था कि वहां आज भी पैदल चलने या साइकिल चलाने वालों की संख्या काफी ज्यादा है, गाडियों की संख्या वहां काफी नगण्य है. ऐसे में वैसे शहरों से यहां की तुलना करना ठीक नहीं है.

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जनता से फीडबैक लेना जरुरी, दर निर्धारण करना बोर्ड का काम :  मेयर

70 वें संविधान संशोधन कानून के तहत शहरी इलाकों में लायी योजना को पब्लिक ओरिएंटेड होने के सवाल पर मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि, किसी योजना को लागू करने से पहले जनता का फीडबैक लेना सही है. स्मार्ट सिटी योजना बनाने के पहले भी जनता से फीडबैक लिया गया था. इसी तरह  किसी तरह की पार्किंग प्लान बनाने से पहले निगम संबंधित लोगों से फीडबैक लेती रही हैं. जहां तक निगम की नयी पार्किंग पॉलिसी दर की बात है, तो इसका निर्णय निगम बोर्ड की बैठक में लिया जाता है. वही वीकेंड में भी लोगों से शुल्क लेने के सवाल करने पर उन्होंने कहा कि किसी भी शहर को सुदृढ़ करने के लिए यह सब अपनाना होगा. अभी तक रांची शहर पूरी तरह से डेवलप नहीं किया है. दूसरी ओर शहर में जनसंख्या और संरचनात्मक सुविधा बढ़ी है. ऐसे में लोगों को सोच बदलना होगा. आज भी देश के ऐसे कई शहर हैं, जहां 100 रुपये से ज्यादा शुल्क वसूला जा रहा है. ऐसे में यह शुल्क ज्यादा नहीं होगा.

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अवैध उगाही का अड्डा बन गया है निगम :  रंजीत गड़ोदिया

नयी दर लागू होने के सवाल पर चैम्बर अध्यक्ष रंजीत गड़ोदिया का कहना था कि आज निगम केवल उगाही का अड्डा बन गया है. इसी को ध्यान में ऱख निगम आज नये-नये धंघा खोजने का कार्य कर रहा है. इसके पीछे निगम का केवल एक ही उद्देश्य है कि कैसे स्पेरो कंपनी का कमीशन बढ़ाया जाए. पब्लिक ओरिएंटेड योजना होने के सवाल पर उनका कहना था कि निगम का इस ओर फोकस ही नहीं है.

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