#Jamshedpur की 3 बस्तियों के लिए पेयजल प्रोजेक्ट निःशुल्क दे रहा था वर्ल्ड बैंक, रघुवर ने नहीं दिया NOC: सरयू

Ranchi : सरयू राय ने कहा है कि 2005 में जमशेदपुर की तीन बस्तियों के लिए वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रस्ताविक विश्वस्तरीय पेयजल परियोजना को रघुवर दास ने रुकवा दिया था.
सोमवार को प्रेस बयान जारी कर राय ने कहा, “बिरसानगर, बागुनहातु और बारीडीह बस्तियों के लिए 2005 में विश्व बैंक अपने खर्चे पर विश्व स्तरीय पेयजल परियोजना का निर्माण करने वाला था परंतु वर्तमान मुख्यमंत्री और तत्कालीन वित्त एवं नगर विकास विभाग मंत्री रघुवर दास की हठधर्मिता के कारण और इसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं देने के कारण यह योजना लागू नहीं हो सकी.”
सरयू ने कहा है कि योजना सरकार ने मोहरदा पेयजल आपूर्ति के नाम से बनाना शुरू किया जिस पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और अभी तक यह योजना पूरा नहीं हुई है और इन बस्तियों को गंदे पेयजल आपूर्ति हो रही है.
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विश्व बैंक ने शत-प्रतिशत अनुदान का दिया था आश्वासन
राय ने अपने बयान में कहा है कि 2005 में अर्जुन मुंडा की सरकार में विश्व बैंक ने परिजोजना की पेशकश करते हुए कहा था कि सरकार या कोई निजी संस्था इस परियोजना को पहले अपने खर्चे पर बना दे. विश्व बैंक की जांच में उसके मापदंडों पर निर्माण खरा उतरेगा तो विश्व बैंक शत-प्रतिशत वे राशि सरकार को या निजी संस्था को दे देगी.
सतीश सिंह, रामकृष्ण दुबे, हरे राम सिंह, रतन महतो, असीम पाठक जैसे भाजपा संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं पर कार्रवाई से बगावती तेवर काफी तेज है.
राय के मुताबिक नगर विकास विभाग ने उस समय इसे बनाना स्वीकार नहीं किया. इसे बनाने के लिए जुस्को आगे आया. जुस्को के तत्कालीन प्रबंधक निदेशक संजीव पाल वाशिंगटन गये, विश्व बैंक के साथ इस संबंध में एकरारनामा किया.
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अनापत्ति पत्र टालते रहे रघुवर
वापस आकर उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री रघुवर दास को एक अनुरोध पत्र भेजा कि चूंकि विश्व बैंक से इस संबंध में विदेशी मुद्रा मिलेगी इसलिए सरकार के वित्त विभाग की अनापत्ति आवश्यक है. उन्होंने लगातार एक साल तक वित्त विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने का प्रयास किया परंतु रघुवर दास ने अनापत्ति पत्र नहीं दिया.
सरयू के बयान के मुताबिक, उसके तुरंत बाद रघुवर दास ने नगर विकास मंत्री की हैसियत से इसके स्थान पर मोहरदा पेयजल परियोजना स्वीकृत की और कार्य आरंभ हुआ. परन्तु यह कार्य पूरा नहीं हो सका और 21 करोड़ की जगह करीब 100 करोड रूपया खर्च हो जाने के बाद भी योजना पूरा नहीं हुई तो उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस परियोजना को जुस्को को सौंप दिया है और परियोजना से गंदा पानी की आपूर्ति हो रही है.
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