आंगनबाड़ी यूनियन ने कहा- बहकावे में न आयें बहनें हड़ताल जारी रखें, बंद रहेंगे 38 हजार आंगनबाड़ी केंद्र

- जब तक सरकार मानेदय वृद्धि पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती तब जारी रहेगी हड़ताल
- मंगलवार को झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की बैठक हुई
Ranchi: राज्य की आंगनबाड़ी बहनें किसी के बहकावें में नहीं आयें. सरकार प्रयास करेगी कि आंगनबाड़ी बहनों की हड़ताल प्रभावित हो लेकिन यूनियन अपनी मांगों पर अडिग है. उक्त बातें झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकुंद सिन्हा ने कहीं.
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार आंगनबाड़ी बहनों के मानदेय वृद्धि पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.
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मंगलवार को झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की बैठक मोरहाबादी में हुई. 30 सितंबर को कल्याण विभाग के सचिव और विकास आयुक्त के साथ हुई वार्ता से असंतुष्ट आंगनबाड़ी सेविकाओं ने हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया.
यूनियन की ओर से राज्य की 88 हजार सेविका, सहायिका और पोषण सखी को निर्देश दिया गया है कि किसी भी हाल में हड़ताल टूटनी नहीं होना चाहिए. राज्य के आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे.
बंद रहेंगे लगभग 38 हजार आंगनबाड़ी केंद्र
आंगनबाड़ी बहनों के हड़ताल पर जाने से लगभग 38 हजार आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे. जिससे बच्चों को मिलनेवाले रेडी टू ईट, गर्भवती माताओं को मिलनेवाले भोजन समेत अन्य कार्य नहीं हो पायेंगे.
राज्य में यह स्थिति पिछले एक माह से बनी हुई है. आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह से बंद हैं. आंगनबाड़ी येविकाओं की मुख्य मांग में मानदेय वृद्धि है.
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कम से कम न्यूनतम मजदूरी की मांग है. यूनियन की ओर से 21 अगस्त से राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन किया गया. इसके पूर्व 16 अगस्त से जिलावार हड़ताल की गयी थी.
27 अगस्त को यूनियन की ओर से धरना-प्रदर्शन समाप्त किया गया. लेकिन हड़ताल अब भी जारी है.
दो अक्टूबर को अनशन करेंगी सेविकाएं
बैठक में निर्णय लिया गया कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर और अपनी मांगों के लिए आंगनबाड़ी सेविकाएं एक दिवसीय अनशन करेंगी.
सेविकाओं की ओर से अनशन मोरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के पास की जायेगी. प्रदेश अध्यक्ष वीणा सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी सेविकाओं को कई आश्वासन दिये, लेकिन आज तक कोई भी आश्वासन पूर्ण नहीं किया गया.
कुपोषण खत्म करने में आंगनबाड़ी सेविकाओं का अहम योगदान है. उन्होंने कहा कि सरकार के अधिकारी कहते हैं कि हर राज्य में सेविकाओं को मिलनेवाले मानदेय की समीक्षा की जायेगी.
यूनियन की ओर से पहले ही छह राज्यों की सूची और मानदेय की जानकारी दे दी गयी है. इसके बाद भी सरकार ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की.
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