धनबाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को है नये चेहरे की तलाश, टिकट के दावेदारों की सूची लंबी

Bidut verma
Dhanbad : महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद झारखंड में भी राजनेताओं के दिल की धड़कनें बढ़ने लगी हैं. झारखंड चुनाव की घोषणा में जैसे-जैसे विलंब हो रहा है, पक्ष और विपक्ष के टिकट के दावेदारों की सूची भी लंबी होती जा रही है. किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ माने जानेवाली धनबाद विधानसभा आज भाजपा के कब्जे में है. यहां पिछले कई वर्षों से भाजपा के विधायक राज सिन्हा चुनाव जीतते रहे हैं.
बताया जाता है कि पिछली बार राज सिन्हा ने ऐतिहासिक मत हासिल कर पूर्व विधायक मन्नान मल्लिक को पटखनी दी थी. कांग्रसे के अंदरखाने चर्चा यह चल रही है कि पूर्व विधायक मन्ना मल्लिक अब उम्रदराज हो चुके हैं.
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अब कांग्रेस नहीं चाहती है कि उनपर किसी तरह दांव खेला जाय. कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मानें तो धनबाद विधानसभा से पार्टी नये चेहरे की तलाश में है. जिस कारण पार्टी के कई कार्यकर्ता भी अपनी दावेदारी पेश करने लगे हैं.
ये पेश कर रहे हैं अपनी दावेदारी
अल्पसंख्यक वोटरों को लुभाने के लिए अभी तक कांग्रेस से मन्नान मल्लिक की दावेदारी हुआ करती थी. लेकिन अल्पसंख्यक के नाम पर कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष रसीद राजा अंसारी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
वहीं जिलाध्यक्ष बृजेंद्र सिहं, कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र वर्मा, जिप सदस्य अशोक सिंह, लोस चुनाव लड़ चुके विजय सिंह और अजय दुबे के साथ-साथ यूथ कांग्रेस के अभिजीत राय भी कांग्रेस से टिकट पाने की होड़ में शामिल हैं.
जबकि बीके सिंह भी अपनी दावेदारी पेश करने में किसी से पीछे नहीं हैं. कहा जा रहा है कि शिक्षा क्षेत्र की जानी-मानी शख्सियत रवि चौधरी भी दिल्ली के संपर्क में हैं. अब यह तो वक्त ही बतायेगा कि इन दावेदारों में से किसको कांग्रेस की ओर से टिकट दिया जाता है.
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जमीन पर नहीं दिख रही है कांग्रेस की तैयारी
अब जबकि विधानसभा चुनाव में महज दो महीने शेष रह गये हैं, विरोधी दल भाजपा ने चुनाव की तैयारी अभी से ही शुरू कर दी है. तो ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर धनबाद में अभी तक कांग्रेस की कोई तैयारी नहीं दिख रही है.
कहा जा रहा है कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस अभी तक शून्य पर खड़ा है. इस बार लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की कोई खास तैयारी नजर नहीं आयी. लोकसभा चुनाव में कई बूथों पर कांग्रेस के पोलिंग एजेंट तक नहीं थे. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले वाशेपुर में भी कई बूथों पर कांग्रेस का कोई एजेंट नहीं था. कांग्रेस के अंदरखाने अभी तक उथल-पुथल का माहौल दिख रहा है.
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