Kumar Gaurav
राज्य सरकार अपने विकास के प्रचार में इतना मसगुल हो गयी है कि बेबस छात्रों की पुकार उन तक पहुंचती ही नहीं है. भारत को उभरता झारखंड दिखाने के चक्कर में सरकार छात्रों के डूबते भविष्य की चिंता से कोसो दूर है.
झारखंड के युवाओं को हुनरमंद बनाने और पलायन को रोकने की बात करने वाली सरकार यह भूल जाती है कि चार साल पहले बेरोजगार योग्य कुशल युवाओं को नौकरी देने के लिए एक विज्ञापन निकाला था. विज्ञापन के नाम पर बेरोजगारों से पैसे लिये जाते हैं.
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छात्र नौकरी की आस में जी-जान लगाकर मेहनत में भी लग जाते हैं. पर सरकार परीक्षा लेना भूल जाती है. विज्ञापन के चार साल हो जाते हैं. नौकरी के इंतजार में युवाओं की चार साल उम्र निकल जाती है, फिर सरकार उस विज्ञापन को अपरिहार्य कारण बताकर रद्द कर देती है.
19 जनवरी 2015 को जेपीएससी ने अकाउंट अफसर के लिए विज्ञापन निकाला था. जिसे 3 अप्रैल 2019 को रद्द कर दिया गया.
16 पदों के लिए निकाला गया था विज्ञापन
19 जनवरी 2015 को सरकार की संस्था जेपीएससी ने अकाउंट अफसर के 16 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था. इन 16 पदों के लिए हजारों की संख्या में बेरोजगार योग्य युवाओं ने अप्लाई किया. सभी ने पांच-पांच सौ रुपये आवेदन फीस के रुप में जमा किये. चार साल जमकर पढ़ाई की. परीक्षा के इंतजार में रहे. पांचवा साल आते-आते सरकार ने इन पदों के लिए जारी विज्ञापन को रद्द करा दिया.
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नौकरी की खोज में पलायन कर रहे युवा, उपलब्धि दिखाने में व्यस्त सरकार
राज्य के अधिकतर होनहार छात्र नौकरी नहीं मिलने के कारण पलायन कर बाहर जा रहे हैं. सरकार पांच साल के अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने में व्यस्त है. इसी उपलब्ध्यिों के बीच अपने उम्र के चार महत्वपूर्ण साल गंवा चुके छात्र सरकार की नौकरी देने की नीति के आगे बेबस हैं. छात्रों को समझ नहीं आ रहा कि वे आखिर कहां जाकर इस अपरिहार्य कारण वाले कारण को खोजकर अपनी उम्र वापस पा सकें.
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