Dhanbad : निरसा पीएचसी में कार्यरत झमाडा के हेल्थ सुपरवाइजर इकरामुल हक का एक वीडियो इन वायरल हो रहा है. वीडियो में इकरामुल हक दुकानदारों पर धौंस जमा रहे हैं. वे लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के नाम पर तय राशि से अधिक की मांग कर रहे हैं. वे बता रहे हैं कि ऊपर अफसरों से उनकी अच्छी पैठ है. निरसा पीएचसी से निलंबित किये गये प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक विमलेश कुमार सिन्हा ने इस वीडियो को जारी किया है.
वीडियो जारी करते हुए सिन्हा ने अपने निलंबन को असंवैधानिक बताते हुए निलंबन मुक्त करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि उन्होंने निलंबन के खिलाफ नगर विकास विभाग और मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी पत्र भेजा है और निलंबन मुक्त कराने की मांग की है.
हेल्थ सुपरवाइजर पर साजिश के तहत फंसाने का आरोप
मीडिया से बात करते हुए विमलेश कुमार सिन्हा ने कहा कि झामाडा एमडी के लिखित आदेश के बाद उन्होंने निरसा पीएससी इलाके में फूड सैंपल एकत्रित करने का कार्य अलग-अलग दुकानों में जाकर शुरू किया था. इसी बीच स्वच्छता पर्यवेक्षक के द्वारा उनके कार्य में बाधा डाली गयी और साजिश के तहत उन्हें पैसे लेने के झूठे आरोप में फंसा दिया गया. जब विभाग नेउनसे शो कॉज किया तो उन्होंने अपना जवाब दिया. लेकिन उनके जवाब को दरकिनार करते हुए विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया.
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सौ रुपये के लाइसेंस के लिए मांगे जा रहे हैं ढाई हजार रुपये
उन्होंने नगर विकास विभाग और मुख्यमंत्री रघुवर दास के दरबार में न्याय की गुहार लगायी है. साथ ही एक वीडियो भी उपलब्ध कराया है कि किस तरह से जिस व्यक्ति ने उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया, वह स्वयं दुकानदारों को भयाक्रांत कर वसूली के कार्य में लगा हुआ है. लाइसेंस के लिए सौ रुपये की राशि लगती है. उसके लिए ढाई हजार रुपये की वह मांग कर रहा है. वह ऊपर से नीचे तक के अफसरों में अपनी गहरी पैठ होने का भी दावा कर रहा है.
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शिकायत पर विभाग जांच करेगा
इस संबंध में झामाडा एमडी चंद्रमोहन कश्यप ने बताया कि उक्त प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक पर वसूली का आरोप साबित हुआ था, जिसे लेकर उसे निलंबित कर दिया गया है. बावजूद अगर उसने किसी तरह की कोई शिकायत विभाग से की है तो उसकी जांच की जायेगी. जांच में अगर वह निर्दोष साबित होते हैं तो नौकरी बचेगी अन्यथा विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी.
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