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भुखमरी-गरीबी निवारण में झारखंड का प्रदर्शन सबसे खराब : नीति आयोग

Chhaya

Ranchi : सरकार भले लाखों दावे कर ले भुखमरी और गरीबी मिटाने की. लेकिन कहीं न कहीं सरकार के दावों का खुलासा हो ही जाता है. झारखंड के संबध में ऐसा ही कुछ खुलासा नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ है. जिसमें यह बताया गया है कि देश के 29 राज्यों और सात केंद्र शासित राज्यों में भुखमरी और गरीबी मिटाने में साल 2018 में सबसे खराब प्रदर्शन झारखंड का रहा है. यह रिर्पोट सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) के मानकों पर जारी की गई है. एसडीजी के 16 मानको में सबसे पहले गरीबी और भुखमरी को रखा गया है जिसमें झारखंड का स्थान सबसे नीचे है. वहीं इस मानक में केरल, तमिलनाडु और मिजोरम जैसे राज्यों का प्रदर्शन सबसे बेहतर पाया गया है.

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86.11 रूपये से भी कम कमाते हैं लोग

इस रिपोर्ट में गरीबी का आंकलन गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की प्रति व्यक्ति आय प्रतिदिन के हिसाब से की गयी है. जिसमें प्रति व्यक्ति कम से कम 86.11 रूपये प्रतिदिन की कमाई को राष्ट्रीय मानक पर रखा गया है. लेकिन झारखंड में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की आय 86.11 से कम पायी गयी है. इस मानक के आधार पर झारखंड को 37 अंक मिले हैं. वहीं तमिलनाडु और मिजोरम इस सूची में पहले और दूसरे स्थान पर हैं. जबकि छत्तीसगढ़, असम, तेलंगाना, उड़ीसा जैसे राज्यों को इस सूची में 50 से 64 तक का स्थान मिला है. जो झारखंड के मुकाबले ज्यादा बेहतर स्थिति को प्रदर्शित करते हैं.

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भुखमरी निवारण में मिले 35 अंक

झारखंड को इस सूची में भुखमरी निवारण के लिए 35 अंक मिले हैं. इसमें भी झारखंड सूची में सबसे नीचे है. जबकि केंद्र शासित प्रदशों की बात की जाए तो अंडमान-निकोबार जैसे प्रदेश भी इस सूची में झारखंड से आगे हैं. हालांकि पूरी रिपोर्ट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अलग-अलग आंकड़े दिए गए हैं. इस रिपोर्ट में भुखमरी का आंकलन कृषि उत्पादकता, कुपोषण, खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत अधिक से अधिक लोगों को शामिल करना है. इस मानक पर पाया गया है कि झारखंड में प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर में 35 किलो अनाज की उगाई जाती है. जबकि राष्ट्रीय मानक प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष 1773.77 किलो है.

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स्वास्थ्य सुविधाओं में भी पिछड़ा है राज्य

भले ही इस मानक में राज्य को 40 अंक मिलने के साथ 23 वां स्थान प्राप्त है. स्वास्थ्य सुविधाओं का आंकलन बेहतर मातृत्व सुविधाएं, हवा, पानी, प्रदूषण आदि के कारण होने वाली बीमारी और कम उम्र में होने वाली मौत के आधार पर किया गया है. इस सूची में कुपोषण से मृत्यु के आंकड़े प्रति एक हजार में 43 और मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक हजार में 36 बताया गया है. इस रिपोर्ट में बताया गया कि झारखंड में प्रति एक लाख व्यक्ति पर मात्र तीन सरकारी डाॅक्टर या नर्स उपलब्ध हैं. जो राष्ट्रीय मानक पर काफी कम है.

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सभी मानकों को मिलाकर मिले हैं 50 अंक

एसडीजी के सभी मानकों को देखा जाए तो झारखंड को कुल मिलाकर 50 अंक मिले हैं. इसमें गोल एक: गरीबी निवारण में 37, गोल दो: भुखमरी निवारण में 35, गोल 3: गुड हेल्थ 40, गोल 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 50, गोल 5: लैंगिक समानता 32, गोल 6: शुद्ध पानी और स्वच्छता में 51, गोल 7: अफोर्डेबल एंड क्लीन एनर्जी 20, गोल 8: आर्थिक विकास और काम की उपलब्धता 52, गोल 9: औद्योगिक विकास और आधारभूत संरचना में 47, गोल 10: असमानता में कमी 72, गोल 11: सस्टेनेबल सिटीज एंड कम्युनिटी में 56, गोल 15 लाइफ आॅन लैंड में 71 तो वहीं गोल 16: पीस, जस्टिस एंड स्ट्रांग इंस्टीट्यूशन में 73 अंक मिलें है. बता दें कि गोल 12: सस्टेनेबल कंसप्शन एंड प्रोडक्शन , गोल 13: क्लाइमेट एक्शन और गोल 14: लाइफ बिलो वाटर के लिए अंक नहीं दिए गए है.

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क्या है एसडीजी

ससटेंनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से संचालित कार्यक्रम है. जो 193 देशों ने अपनाया है. एसडीजी 16 मानकों पर कार्य करती है. जिसे गोल एक से लेकर गोल 16 तक के नाम दिए गए हैं. नीति आयोग की ओर से एसडीजी की रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र में सौंपी जाती है. इसमें राज्यों के प्रदर्शन को दर्शाने के लिए तीन रंगों का प्रयोग किया गया है. जिसमें हरा बेहतर प्रदर्शन के लिए, पीला संतोषजनक के लिए और लाल निम्न प्रदर्शन के लिए उपयोग में लाया जाता है.

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