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बेरोजगारी का आलम, सुरक्षाकर्मियों ने सीएम से मांगी इच्छा मृत्यु की इजाजत

Ranchi :  झारखंड में बेरोजगारी की आलम यह है कि 6400 रुपये की नौकरी छूट जाने पर सरकार से 155 युवाओं ने इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली.  इस संबंध में  पत्र लिख कर गवर्नर, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं अन्य पदाधिकारियों से इच्छा मृत्यु की इजाजत देने की मांग की गयी है. लेकिन आज तक सरकार की ओर से उन्हें रोजगार उपल्बध नहीं कराया गया.

झारखंड सरकार के द्वारा रोजगार उपलब्ध कराने के बड़े बड़े दावे किये जाते रहे हैं. सरकार ने कौशल विकास के तहत एक लाख, 27 हजार युवाओं को रोजगार देने का दावा भी किया है. लेकिन 2013 से सुरक्षा कार्य में लगे कर्मियों के बेरोजगार होने पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है.

जान लें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यरत 155 सुरक्षाकर्मी अप्रैल 2018 से बेरोजगार हो गये हैं. इससे इनके परिवार के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है.  अब ये  युवा अंदोलन करने से लेकर सरकार और मंत्री के दरवाजे पर जा रहे हैं,  लेकिन सरकारी महकमे की ओर से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है.

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2013 में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बहाल हुए थे

सुरक्षाकर्मियों को एवरेस्ट रिसोर्स कंसल्टेंट्स एजेंसी की ओर से नियुक्त किया गया था. इसके बाद दो बार इनका मानदेय भी बढ़ाया गया था. 2017 में इनका मानदेय 5000 था. इसके बाद 2018 में मानदेय 6400 सौ रुपये किया गया. अब अप्रैल 2019 से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यरत सुरक्षाकर्मी बेरोजगार हो गये हैं. रोजगार पाने के लिए मुख्यंमंत्री को भी पत्र लिखा, लेकिन चार माह  के बाद भी सिर्फ इन्हें दिलासा ही दिया गया.

क्या कहते हैं बेरोजगार सुरक्षाकर्मी

रांची जिला सुरक्षा कर्मचारी संघ के बैनर तले रोजगार की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने प्रोजेक्ट भवन पहुंचे संघ के महासचिव मो. मोबीन असांरी कहते हैं,  हमलोग मुख्यमंत्री से मिलने और अपने दुख दर्द को बताने के लिए प्रोजेक्ट भवन पहुंचे लेकिन मुख्यमंत्री से नहीं मिल सके. हम लोग नौकरी की मांग नहीं कर रहे. बस हमें सरकार रोजगार के साधन उपलब्ध कराये. अगर सरकार रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं कराती, तो  सुरक्षाकर्मियों को इच्छा मृत्यु की इजाजत दें या हमारी मांग सरकार मान ले.

चार महीने में मिला सिर्फ आश्वासन

बेरोजगार सुरक्षाकर्मी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव से मिल चुके हैं लेकिन उन्हें सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिले. सुरक्षाकर्मियों से बात करने से जानकारी हुई कि स्वास्थ्य मंत्री कहते हैं आप लोगों को नियमित करने के लिए हमने पत्र निर्गत कर दिया है आप मुख्यमंत्री से मिलिए मेरा काम खत्म हो चुका.

रामचंद्र चंद्रवंशी सचिव को पत्र लिख चुके हैं

इस संबध में स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने स्वास्थ्य, चिकित्सा, परिवार कल्याण विभाग के सचिव नीतिन मदन कुलकर्णी को लिखें पत्र में सुरक्षाकर्मियों को हटाये जाने पर नाराजगी भी जाहिर की है अपने पत्र में कहा है कि अस्पतालों में पूर्व से कार्यरत सुरक्षा एजेंसी को हटाने का आदेश स्थगित किया जाये.

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